Friday, January 08, 2010

क्या हो रहा है वैन में...?

रमेश कुमार हांफता-कांपता एक रेस्तरां में घुसा, और काउंटर पर जाकर पानी मांगा...

काउंटर पर बैठे रेस्तरां के मालिक ने उसे तुरंत एक गिलास पानी दिया, जिसे एक ही सांस में पाकर उसने दूसरा गिलास मांगा...

इसी तरह एक के बाद एक रमेश पांच गिलास पानी पी गया...

उसके बाद जब उसकी उखड़ी सांस कुछ काबू में आईं, तो बोला, "शुक्रिया..."

अब रेस्तरां के मालिक ने उससे पूछा, "भाई, तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गई...?"

रमेश ने कहा, "यार, किसी की भी यही हालत होगी, जो मेरी वैन की पिछली सीट पर मौजूद औरत के साथ कुछ देर रहेगा... हे भगवान, क्या औरत है वह... उसकी आग है कि शांत ही नहीं होती... अभी तीन बार हो चुका है, और वह है कि फिर चाहती है, लेकिन अब मेरे बस का नहीं रहा, यार..."

अब रेस्तरां के मालिक की आंखें चमकने लगीं, और बोला, "मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं... एक काम करो, तुम मेरी जगह बैठो, और मैं वैन में तुम्हारी जगह ले लेता हूं..."

रमेश ने कृतज्ञ स्वर में कहा, "शुक्रिया, दोस्त..."

रेस्तरां का मालिक तुरंत पार्किंग में पहुंचा, और रमेश की बताई वैन में घुस गया...

वहां घुप अंधेरा था, लेकिन पिछली सीट पर वास्तव में एक औरत बिना कपड़ों के मौजूद थी...

बस, फिर क्या था...

रेस्तरां के मालिक ने भी तुरंत अपने कपड़े उतारे, और औरत के पास पहुंचा, लेकिन तभी वैन की खिड़की पर दस्तक हुई, और एक टॉर्च की रोशनी से वैन नहा गई...

रेस्तरां के मालिक ने पलटकर देखा तो एक पुलिसवाला खड़ा था, जिसने गुर्राते हुए पूछा, "यह क्या चल रहा है...?"

रेस्तरां के मालिक ने दीन-सा स्वर बनाकर कहा, "कुछ नहीं, सर, यह मेरी बीवी है..."

पुलिसवाला भी तुरंत बोला, "माफ कीजिएगा, मुझे नहीं पता था..."

रेस्तरां का मालिक फिर बोला, "भाई, तेरी टॉर्च जलने से पहले मुझे भी नहीं पता था..."

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