Tuesday, January 05, 2010

'गे' निकले संता के भाई...

उदास संता सिंह ने बार में पहुंचते ही बारटेंडर से कहा, "मुझे एक बोतल व्हिस्की दो..."

बारटेंडर ने हैरानी से उसे देखा, लेकिन बोतल दे दी...

संता ने पर्स निकाला, बारटेंडर को बिल के पैसे दिए, बोतल उठाई, और एक सांस में खाली कर दी...

अब बारटेंडर से बिल्कुल नहीं रहा गया, और वह संता के पास जाकर बोला, "लगता है, आपका दिन बहुत खराब गुज़रा है... क्या हुआ, सर...?"

संता ने रुआंसी आवाज़ में कहा, "मुझे आज ही पता चला है कि मेरा बड़ा भाई 'गे' है..."

बारटेंडर ने सहानुभूति जताते हुए 'ओह' कहा, और अपनी जगह जाकर बैठ गया...

अगले दिन संता उसी तरह बार में पहुंचा, और बोला, "मुझे एक बोतल व्हिस्की दो..."

बारटेंडर ने फिर उसे बोतल दे दी, संता ने पर्स निकाला, बिल के पैसे दिए, बोतल उठाई, और एक सांस में खाली कर दी...

अब बारटेंडर फिर बोला, "आज क्या हुआ, सर...?"

संता ने जवाब दिया, "आज मुझे यह पता चला कि मेरा छोटा भाई भी 'गे' है..."

बारटेंडर ने फिर सहानुभूतिपूर्ण स्वर में 'ओह... वह भी' कहा, और अपनी जगह चुपचाप बैठ गया...

तीसरे दिन संता फिर बार में पहुंचा, और बोला, "मुझे एक बोतल व्हिस्की दो..."

इस बार बारटेंडर ने बोतल उसे देते ही बोला, "सर, मुझे आपसे पूरी सहानुभूति है... लेकिन क्या आपके परिवार में किसी को भी औरतें पसंद नहीं हैं...?"

संता ने तपाक से जवाब दिया, "वही तो आज पता चला... मेरी बीवी को..."

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