Wednesday, August 11, 2010

सार्थक के जानी दोस्त...

एक रात मेरा बेटा शरारती सार्थक बहुत देर से घर आया...

मैं गुस्से में था, और आते ही पूछा, "कहां था, बदमाश...?"

सार्थक ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया, "दोस्त के घर था, पापा..."

मुझे लगा, वह झूठ बोल रहा है, सो, मैंने भी उसकी चोरी पकड़ने के लिए एक के बाद एक उसके 10 दोस्तों को फोन किया...

पांच ने कहा, "जी हां, यहीं था, अंकल..."

तीन ने कहा, "जी अंकल, बस, अभी-अभी निकला है..."

दो ने कहा, "जी अंकल, यहीं है, बात कराऊं क्या...?"

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